श्राद्ध पूजा

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हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है. मान्यतानुसार अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और वह भूत के रूप में इस संसार में ही रह जाता है. पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं. मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें.

हर व्यक्ति को श्राद्ध के समय अपने पितरों की पूजा करनी चाहिए. इस पूजा को करने से व्यक्ति के कई तरह के पाप और दुःख खुद से खत्म हो जाते हैं. योर फार्च्यून की मदद से आप सही विधि-विधान तरीके से इस पूजा को संपन्न करा सकते हैं.