पौराणिक काल की ये महिलाएँ विवाहित होकर भी कहलाईं कुंवारी
पौराणिक काल की महिलाएँ – पौराणिक काल में कई ऐसी महिलाओं का वर्णन मिलता है जो विवाहित होने के बाद भी एक अस्पर्श स्त्री के रूप में सदा कुंवारी बनी रहीं।
हालांकि इन महिलाओं ने अपना पूरा जीवन विवाहिता के रूप में जीया लेकिन फिर भी इन्हें सदा कुंवारी ही कहा गया है।
आइए जानते हैं कि पौराणिक काल की महिलाएँ जो विवाहिता होने के बावजूद कुंवारी माना गया है।
पौराणिक काल की महिलाएँ –
1 – अहिल्या
गौतम ऋषि की पत्नी पर इंद्र देव की बुरी दृष्टि पड़ गई थी और उन्होंने छल से उनकी पत्नी के साथ रात बिताई। इस बात से क्रोधित होकर गौतम ऋषि ने अहिल्या को आजीवन पत्थर का बन जाने का श्राप दिया। अहिल्या ने सदा पतिधर्म का पालन किया था इसलिए उसने इस श्राप को स्वीकार किया। श्रीराम के स्पर्श से अहिल्या को इस श्राप से मुक्ति मिली थी। श्रीराम ने ही अहिल्या को पवित्र कहा था जिसके बाद वो सदा के लिए कुंवारी कहलाई।
2 – मंदोदरी
रावण की पत्नी बनने वाली मंदोदरी ने कभी हार नहीं मानी। वो सदा रावण को सदाचार का पाठ सिखाती रहती थी किंतु उसके पति ने कभी उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। माना जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद मंदोदारी ने विभीषण से विवाह कर लिया किंतु उसे आजीवन कुंवारी ही माना गया।
3 – कुंती
ऋषि दुर्वासा ने कुंती को एक मंत्र दिया था जिससे वो किसी भी देवता का आवाह्न कर पुत्र की प्राप्ति कर सकती थी। इस मंत्र की शक्ति को जांचने के लिए कुंती ने सूर्य देव का आवाह्न कर दिया और उसे कर्ण नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। लोक-लाज के कारण कुंती ने अपने पुत्र का त्याग कर दिया। कुंती को अपने सभी पुत्रों की प्राप्ति देवताओं के आवाह्न से हुई थी इसलिए उसे सदा कुंवारी माना गया।
इस प्रकार पौराणिक काल की महिलाएँ विवाहित होकर भी कुंवारी कही गई। शास्त्रों के अनुसार उस काल में भी महिलाओं पर अत्याचार और अधर्म हुआ करता था।