महिलाओं को क्यों नहीं करनी चाहिए शिवलिंग की पूजा !
महिलाओं द्वारा शिवलिंग की पूजा – सावन का महीना शुरु हो चुका है।
इस महीने में विशेष रूप से शिवलिंग की पूजा की जाती है। भक्तों का विश्वास है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने और शिवलिंग का अभिषेक करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
मान्यता है कि यदि कोई अविवाहित कन्या सावन के सोमवार का व्रत रखे तो उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है साथ ही विवाह में आ रही देरी भी दूर होती है।
महिलाओं द्वारा शिवलिंग की पूजा
शास्त्रों में महिलाओं द्वारा शिवलिंग की पूजा के बारे में एक बात कही गई है। शास्त्रों की मानें तो कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग को स्पर्श नहीं करना चाहिए। शिवलिंग के पूजन का ख्याल भी मन में लाना वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि लिंगम लिंग का प्रतिनिधित्व करता है अर्थात् लिंगम महादेव का प्रतीक एवं पुरुषों की रचनात्मक ऊर्जा है।
महादेव सदा तपस्या में लीन रहते हैं एवं उनकी तपस्या भंग ना हो जाए इसके लिए महिलाओं को शिवलिंग को स्पर्श ना करने की सलाह दी गई है।
शिव परिवार की पूजा
ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग को स्पर्श करना देवी पार्वती को भी पसंद नहीं है और ऐसा करने वाले से वह रुष्ट हो जाती हैं।
महिलाएं मूर्ति रूप में शिव की पूजा कर सकती हैं। सावन के महीने और शिवरात्रि पर शिव परिवार के पूजन का अधिक महत्व है इसलिए आपको शिवलिंग के स्थान पर शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए।
ये सिर्फ कही-सुनी बातें हैं कि महिलाओं द्वारा शिवलिंग की पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि वेदों और शास्त्रों में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं मिलता है। सदियों से स्त्रियां मनचाहे वर की प्राप्ति और अपनी अनेक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शिवलिंग का पूजन करती आ रही हैं और स्वयं देवी पार्वती ने भी भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए शिवलिंग का ही पूजन किया था। इसलिए महिलाएं भी शिवलिंग का पूजन कर सकती हैं।