पति की मृत्यु के बाद विधवा स्त्री क्यों पहनती हैं सफेद रंग के कपड़े ?
विधवा स्त्री – सुहागिन महिलाओं के ही सोलह श्रृंगार बना है। विवाह के बाद स्त्री अपने पति के नाम का सोलह श्रृंगार करती है। यह श्रृंगार उसके पति के प्रति उसका प्रेम होता है।
विवाह के बाद स्त्री के जीवन में अनके रंग भर जाते हैं लेकिन अगर किसी स्त्री के पति की मृत्यु हो जाए तो उसे बेरंग कपड़े पहनने को कहा जाता है।
विधवा स्त्री का जीवन रंगीन वस्त्रों से विहीन हो जाता है।
आपने भी कई बार देखा होगा कि पति की मृत्यु के बाद स्त्री को केवल सफेद रंग के वस्त्र ही पहनने पड़ते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पति की मृत्यु से सफेद रंग क्यों जुड़ा है और स्त्री के विधवा होने के बाद वो रंगीन वस्त्र क्यों नहीं पहन सकती है।
आइए जानते हैा इस सवाल का जवाब …
ज्योतिषशास्त्र और शास्त्रों के अनुसार विधवा स्त्री को अपने पति की मृत्यु के बाद सफेद रंग के कपड़े ही पहनने चाहिए।
सफेद रंग को अत्यंत पवित्र और सात्विक माना जाता है। पति की मृत्यु के बाद स्त्री का जीवन अत्यंत कठिन और संघर्षों से भर जाता है। इस अवस्था में स्त्री को ईश्वर की कृपा की जरूरत होती है। केवल ईश्वर ही विधवा स्त्री की मुश्किलों को कम कर सकते है।
मान्यता है कि विधवा स्त्री को सफेद रंग के वस्त्रों से मनोबल और सात्विकता की प्राप्ति होती है। ये रंग उसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है और इस रंग से विधवा स्त्री को लड़ने की ताकत मिलती है।
बस, इसी कारण से पति की मृत्यु के बाद स्त्री को सफेद रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं। प्राचीन समय में पति की मृत्यु के बाद विधवा स्त्री पुर्नविवाह नहीं कर सकती थी लेकिन आज ऐसे रीति-रिवाज़ों को नहीं माना जाता है। यहां तक कि पति की मृत्यु के बाद अब विधवा महिलाएं ज्यादा दिनों तक सफेद रंग के वस्त्र भी नहीं पहनती हैं।