श्रीकृष्ण क्यों पहनते हैं मोर पंख, जानिए कथा !
श्रीकृष्ण के मोर पंख – सभी देवी-देवताओं में सबसे अधिक प्रिय और मनमोहक श्रृंगार भगवान कृष्ण का होता है।
जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण का श्रृंगार और वस्त्र अत्यंत सुंदर होते हैं। कृष्ण का नाम आते ही उनकी मन मोह लेने वाल बाल्यावस्था और युवा छवि सामने आ जाती है।
बालपन से ही श्रीकृष्ण के श्रृंगार में खूब सारे आभूषण और माथे पर मुकुट के साथ मोर पंख का प्रयोग किया जाता है।
कहते हैं कि श्रीकृष्ण को मोर पंख बहुत प्रिय है और ये उनके श्रृंगार का सबसे अहम हिस्सा है। मोर पंख धारण करने के कारण श्रीकृष्ण को मोर्मुकुत धारी भी कहा जाता है। श्रीकृष्ण सदा अपने मुकुट पर मोर पंख धारण करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रीकृष्ण के मोर पंख धारण करने के पीछे क्या कारण है?
आज हम आपको श्रीकृष्ण के मोर पंख के प्रति प्रेम से जुड़ी कथा के बारे में बता रहे हैं।
श्रीकृष्ण ने बजाई बांसुरी
किवदंती है कि बालपन में एक बार श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ जंगल में सो रहे थे कि तभी श्रीकृष्ण की आंख खुली और उन्होंनें देखा कि मौसम बहुत अच्छा हो रहा है। ऐसे में श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाना शुरु कर दिया। बांसुरी का मधुर सगीत सुन सभी पशु-पक्षी नृत्य करने लगे। इस मधुर संगीत में लीन होकर मोर भी नाचने लगे। जब संगीत खत्म हुआ तो सभी मोर श्रीकृष्ण के पास आए और अपने पंख तोड़कर जमीन पर गिरा दिए। सभी मोरों ने अपने पंखों को श्रीकृष्ण को गुरु दक्षिणा के रूप मं अपिर्त कर दिया। श्रीकृष्ण ने इन पंखों को स्वीकार कर कहा कि वे अब से सदा मोर पंख को अपने मुकुट पर धारण करेंगें।
मोर पंख में सात रंग
मोर पंख में सभी तरह के रंग पाए जाते हैं। मोर के पंखों से भगवान कृष्ण यह संदेश देना चाहते हैं कि हमारा जीवन भी इसी तरह सभी रंगों से भरा है। कभी इसमें चमक आती है तो कभी ये हल्का पड़ जाता है। जीवन में भी इन्हीं रंगों की भांति सुख और दुख बने रहते हैं।
ये है श्रीकृष्ण के मोर पंख से जुडी कथा – बस इसी कारण श्रीकृष्ण अपने श्रृंगार में सदा मोर पंख का प्रयोग करते हैं।