जानिए किसने की थी केदारनाथ पर सबसे पहले पूजा
धरती पर भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंग हैं जिनमें से एक है केदारनाथ धाम।
केदारनाथ धाम चार धाम की यात्रा में से भी एक प्रमुख तीर्थस्थल है। दुनियाभर में भगवान शिव के इस केदारनाथ धाम तीर्थस्थल के बारे में सभी जानते हैं लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि केदारनाथ का उद्गम कैसे हुआ अथवा ये कैसे प्रकट हुए? उत्तराखंड में बद्रीनाथ मंदिर जाते हुए हुण मार्ग में केदारनाथ मंदिर आता है।
इस मंदिर की समुद्रतल से ऊंचाई 3584 मीटर है।
आइए जानते हैं इस पावन धाम से जुड़ी कुछ खास बातें।
किवदंती है कि केदारनाथ मंदिर, भगवान शिव के उन बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक है जहां स्वयं भगवान विष्णु ने पूजा की थी और उसके बाद ही यहां पर शिवलिंग प्रकट हुए थे। वैसे तो रामेश्वरम को पहला ज्योर्तिलिंग माना जाता है, जहां भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना कर पूजा-अर्चना की थी। कहा जाता है कि केदारनाथ के ज्योर्तिलिंग भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण के तप और आराधना से प्रकट हुए थे।
द्वापर युग में कृष्ण और अर्जुन ने नर और नारायण के रूप में केदारनाथ मंदिर में पूजा की थी और इसके बाद इंद्र देव ने केदारेश्वर में पूजा की थी। वर्तमान समय में केदारेश्वर में जो मंदिर स्थापित है उसे 8वीं सदी में गुरु शंकराचार्य ने बनवाया था। केदारनाथ मंदिर के गभगृह में चारों कोनों पर चार पाषाण स्तंभ हैं। इनसे होकर प्रदक्षिणा होती है।
भगवान शिव से संबंधित पुराणों और ग्रंथों में भी इस केदारनाथ धाम मंदिर का उल्लेख मिलता है। ये मंदिर अत्यंत ठंडे ग्लेशियर और ऊंची चोटियों से घिरा हुआ है इसलिए इसे सर्दी के मौसम में बंद कर दिया जाता है। इस मंदिर के अधिदेवता को ऊखीमठ ले जाया जाता है।
इस प्रकार धरती पर आज भी सदियों से स्थापित केदारनाथ मंदिर के ज्योर्तिलिंग की स्थापना हुई और आज भी यहां परंपरा के अनुसार भगवान शिव की लिंग स्वरूप में पूजा होती है।