गांवों के घरों में क्यों नहीं मिलता है वास्तु दोष
गांवों के घरों में वास्तुदोष – वास्तुदोष के कारण मनुष्य को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वास्तुदोष के कारण कोई व्यक्ति कर्ज में दब जाता है तो किसी को संतान सुख मिलने में दिक्कत आती है। वास्तुदोष घर या दुकान कहीं भी किसी भी दिशा और किसी भी जगह पर हो सकता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि गांवों में वास्तुदोष क्यों नहीं होता?
तो चलिए जानते हैं कि इस रहस्य के पीछे क्या वजह है और आखिर क्यों गांवों में वास्तुदोष नहीं होता है।
गांवों में खुली जमीन होती है, वहां शहरों की तरह जगह की कोई कमी नहीं होती।
अमूमन गांवों में बड़े-बड़े घर होते हैं इसलिए वहां पर शौचालय आदि घर से थोड़ी दूरी पर बनाए जाते हैं। यही जगहें नेगेटिव एनर्जी पैद करती हैं और गांवों में ये घर से दूर होती हैं, जिस कारण गांवों के घरों में वास्तुदोष नहीं पाया जाता है।
इसके अलावा गांवों में अधिकतर घर पूर्व की ओर मुख किए होते हैं जिससे सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें सीधी घर पर पड़ती हैं। इस कारण गांवों में घर का ईशान कोण दूषित नहीं होता। ईशान कोण में वास्तुदोष बहुत घातक माना जाता है।
शहरों में घरों के अंदर आंगन नहीं होते जबकि गांवों में खूब बड़े आंगन होते हैं जहां तुलसी का पौधा रखा जाता है। तुलसी का पौधा हर प्रकार के दोष को खत्म करता है। तुलसी का पौधा आसपास के वातावरण से कॉस्मिक ऊर्जा लेकर पूरे घर को शुद्ध कर देता है। इस कारण भी गांवों के घरों में वास्तुदोष नहीं होता है।
गांवों में आपको हर घर में गाय मिल ही जाएगी। गांव के फर्श को गाय के गोबर से लीपा जाता है जिस कारण वहां पर हमेशा पॉजीटिव एनर्जी बनी रहती है।
इन कारणों से शहरों के मुकाबले गांवों के घरों में वास्तुदोष नहीं होता है। गांवों में भवन निर्माण कम होता है और साथ ही वहां पर देसी काम ज्यादा होते हैं जिससे वहां की सकारात्मक ऊर्जा नष्ट नहीं होती है।