श्राद्ध पक्ष में जरूर करें इन नियमों का पालन वरना
श्राद्ध पक्ष में पितरों की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है।
ज्योतिष के अनुसार इस समय सूर्य दक्षिणायन होता है। मान्यता है कि सूर्य के इस बदलाव के कारण आत्माओं को मुक्ति मिलती है। अगर श्राद्ध पक्ष में आप श्राद्ध पाठ करें तो आपके पूर्वजों की भटकती हुई आत्माओं को मुक्ति मिल जाती है।
श्राद्ध पक्ष को लेकर हिंदू धर्म में कुछ नियम बनाए गए हैं। श्राद्ध पक्ष 15 दिनों तक चलता है और इस दौरान पितरों की शांति के लिए विशेष कर्म किए जाते हैं। यहां तक कि कुंडली के पितृ दोष से भी मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध पक्ष शुभ माना जाता है।
श्राद्ध पक्ष में आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
– दाएं कंधे में जनेऊ पहनकर ही पूर्वजों की पूजा करें। पूजन में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ना बैठें।
– पूजन में तुलसी के प्रयोग से पितर प्रलयकाल तक आपसे प्रसन्न रहते हैं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए किए गए पूजन में गंगाजल, दूध, शहद, तरस का कपड़ा, दौहित्र, तिल और कुश जरूर रखें।
– अपने पितृगणों का श्राद्ध सोने, चांदी, तांबे या कांसे के पात्र में करें। ऐसा करने से पितृगण गरुड़ पर सवार होकर विष्ण्णुलोक में वास करने चले जाते हैं।
– श्राद्ध के दिनों में पूजन के पश्चात् ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराएं। इस पूजन में भी कुछ निर्देशों का पालन करना जरूरी होता है। ब्राह्मण को लोहे के आसन पर बैठकार भोजन करवाने की गलती ना करें। श्राद्ध में ब्राह्मण को केले के पत्ते पर भोजन ना दें।
– श्राद्ध पक्ष के दिनों को मंगल कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। इन पंद्रह दिनों तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान नए कपड़ों या किसी भी नई वस्तु की खरीदारी करना वर्जित माना जाता है। ऐसा करने से आपको अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।
श्राद्ध पक्ष में – हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध पक्ष बेहद महत्पूर्ण माना जाता है इसलिए इस दौरान इन नियमों का पालन जरूर करें।