इस उम्र में शनि की साढ़ेसाती से मिलता है लाभ
शनि की साढ़ेसाती – शनि का नाम सुनते ही लोग थरथर कांपने लगते हैं।
शनि देव का प्रकोप है ही इतना भयंकर की हर कोई उनसे डरता है। हर उम्र में शनि का और शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव अलग-अलग होता है। जब जातक की उम्र 36 एवं 42 साल की होती है तो उस अंतराल में शनि अति प्रबल होता है। ऐसी स्थिति में शनि जातक को शुभ फल प्रदान करता है। इस अंतराल में शनि की महादशा और अंर्तदशा से अशुभ की जगह शुभ फल मिलते हैं।
सूर्य की पूजा करने वाला व्यक्ति तेजस्वी और साहसी बनता है। सूर्य देव का वर्ण गौर होता है जबकि उनके पुत्र शनि का वर्ण श्याम बताया गया है।
शनि की साढ़ेसाती –
शनि से संबंधित खास बातें
शनि एक ऐसा ग्रह है जिससे सभी को भय लगता है।
कुंडली में किस भाव में शनि बैठा है, इस पर आपका जीवन निर्धारित करता है। शनि की अवस्था पर ही जीवन में आने वाले सुख-दुख निर्भर करते हैं। शनि देव को क्रूर ग्रह की उपाधि दी गई है। शनि कुंडली के त्रिक भावों छठे, आठवें और बारहवें भाव का कारक है। धार्मिक और अच्छे कर्म वाले व्यक्ति को हमेशा शनि से शुभ फल प्राप्त होता है। मतस्य पुराण के अनुसार शनि की कांति इंद्रनील मणि जैसी है एंव इनका वाहन कौआ है। शनि देव के हाथों में धनुष-बाण, त्रिशूल और वरमुद्रा होती है।
शनि देव को शनिवार का दिन समर्पित है।
शनि को वृद्ध, तीक्ष्ण, आलसी, वायु प्रधान, नपुंसक और तमोगुणी ग्रह माना गया है। शनि प्रिय वस्तु लोहा है। इनका प्रभाव कानून संबंधी मामलों पर रहता है। शनि राजदूत, सेवक, शिल्प और तंत्र-मंत्र की विद्याओं के कारक हैं। मकर और कुंभ राशियों के स्वामी शनि का रंग काल है। इन्हें मृत्यु का देवता भी कहा जाता है। शनि प्रधान लोग सन्यास ग्रहण कर लेते हैं।
शनि देव किसी भी व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर दंड देते हैं। बेईमान और पाप करने वाले लोगों को दंड देने में शनि देव बिलकुल भी नरमी नहीं रखते। वहीं मेहनती और ईमानदार लोगों पर सदा शनि की कृपा रहती है।
कुंडली में तीसरे, छठे, दसवें या ग्यारहवें भाव में शनि हो तो उस व्यक्ति को शनि से शुभ फल की प्राप्ति होती है। वहीं पहले, दूसरे, पांचवे और सातवें भाव में शनि का होना अत्यंत अशुभ माना जाता है। चौथे, आठवें और ग्यारहवें भाव में शनि अशुभ होता है। व्यक्ति की 36 एवं 42 वर्ष की उम्र में शनि अत्यंत बलवान होता है और शुभ फल प्रदान करता है।
इस दौरान शनि की महादशा और अंतर्दशा में जातक को लाभ मिलता है।