सूर्य देव के रथ में सात घोड़े होने के पीछे है ये कारण !
सूर्य के रथ में सात घोड़े – ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को सफलता का कारक माना गया है।
कहते हैं कि जिस पर सूर्य देव की कृपा पड़ जाए उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। मान्यता के अनुसार सूर्य देव जिस रथ पर सवार रहते हैं उसमें सात घोड़े होते हैं। ये सात घोड़े विशाल और मजबूत होते हैं। इन सात घोड़ों की लगाम अरुण देव के हाथों में होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सूर्य देव के रथ में सात घोड़े ही क्यों होते हैं। क्या रथ में सात घोड़ों की संख्या का कोई अहम कारण है।
तो चलिए जानते हैं कि सूर्य के रथ में सात घोड़े क्यों होते हैं।
सूर्य देव की दो पत्नियां हैं एक संज्ञा और दूसरी छाया। शनि देव और यमराज इनकी ही संतान हैं। शनि और यमराज दोनों ही न्याय करने वाले हैं। इसके अलावा यमुना, ताप्ती, अश्विनी और वैवस्वत मनु भी सूर्य देव की संतानें हैं। मान्यता है कि इनमें से एक मनु मानव जाति के सबसे पहले पूर्वज भी हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार सूर्य देव के 11 भाई हैं जिन्हें एक रूप में आदित्य कहा जाता है। इसी कारण सूर्य देव को आदित्य के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य देव के अलावा उनके 11 भाई हैं – अंश, आर्यमान, भाग, दक्ष, धात्री, मित्र, पुशण, सवित्र, सूर्या, वरुण और वमन। ये सभी पुत्र कश्यप और अदिति की संतान हैं। मान्यता है कि सूर्य देव को मिलाकर ये सभी बारह भाई वर्ष के 12 महीनों को दर्शाते हैं।
सूर्य देव के रथ को संभालने वाले सात घोड़ों का नाम है – गायत्री, भ्राति, उस्निक, जगति, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति। मान्यता है कि ये सात घोड़े सप्ताह के सात दिनों को दर्शाते हैं।
इसके अलावा ये सात घोड़े सात विभिन्न किरणों का भी प्रतीक हैं। ये किरणें सूर्य देव से ही उत्पन्न होती हैं। सूर्य के प्रकाश में सात अलग-अलग प्रकार की रोशनी होती है। ये रोशन एक धुर से निकलकर फैलती हुई पूरे आकाश में सात रंगों का भव्य इंद्रधनुष बनाती है।
कई बार सूर्य देव की प्रतिमा में रथ के साथ एक घोड़े पर ही सात सिर बनाकर मूर्ति बनाई जाती है। इसका अर्थ है कि एक ही शरीर से अलग-अलग घोड़ों की उत्पत्ति हुई है। इसी तरह सूरज की एक रोशनी से भी सात विभिन्न किरणों की उत्पत्ति होती है।
सूर्य देव के रथ के नीचे केवल एक ही पहिया लगा हुआ है जिसमें 12 तीलियां हैं। माना जाता है कि रथ में केवल एक ही पहिया होने के पीछे भी एक कारण है। सूर्य देव के रथ में लगा एक पहिया एक पूरे वर्ष का प्रतीक है और उस पहिये में लगी 12 तीलियां 12 महीनों को दर्शाती हैं।
इस तरह सूर्य के रथ में सात घोड़े होते है – भगवान सूर्य का रथ किसी न किसी चीज़ का प्रतीक है।
सूर्य देव सफलता, वैभव और समृद्धि के कारक हैं। जिस भी व्यक्ति को अपने जीवन में इन चीज़ों की कामना रहती है उसे भगवान सूर्य की आराधना करनी चाहिए। सबुह के समय रोज़ अर्घ्य देने से भी सूर्य देव जल्दी प्रसन्न होते हैं।