सत्यानारायण भगवान की पूजा

इस तरह करें सत्यानारायण भगवान की पूजा

हिंदू धर्म में सत्यानारायण भगवान की पूजा का बहुत महत्‍व है।

शास्‍त्रों मे सत्यानारायण भगवान की पूजा को सर्वाधिक प्रतिष्ठित व्रतों में से एक बताया गया है। भगवान सत्‍यनारायण को विष्‍णु जी का सत्‍य स्‍वरूप माना जाता है।

मनोकामना की पूर्ति हेतु पूर्णिमा के दिन सत्यानारायण भगवान की पूजा एवं व्रत करने का‍ विधान है।

आइए जानते हैं कैसे करनी चाहिए सत्यानारायण भगवान की पूजा ।

सत्यानारायण भगवान की पूजा –

पूजन से जुड़ी खास बातें

सत्‍यनारायण भगवान के व्रत की कथा का वर्णन स्‍कंदपुराण और भविष्‍यपुराण में मिलता है। जो व्‍यक्‍ति सत्‍यनारायण भगवान के व्रत का संकल्‍प लेता है उसे कभी भी इसे तोड़ना नहीं चाहिए और ना ही कभी इसका अनादर करना चाहिए। पूर्णिमा अथवा पूर्णमासी के दिन सत्‍यनारायण भगवान का व्रत करना सबसे शुभ माना जाता है।

पूजन सामग्री

सत्यानारायण भगवान की पूजा करने के लिए केले के पत्ते, तांबे का लोटा, दूध, देव वस्‍त्र के लिए लाल रंग का वस्‍त्र, चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, फूल, अष्‍टगंध, तुलसीदल और तिल रखें। प्रसाद में गेहूं के आटे की पंजीरी, फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे और शक्‍कर रखें।

अगर आपके पास ये सब चीज़ें उपलब्‍ध नहीं हैं तो आप पांच फल प्रसाद के रूप में भी रख सकते हैं। पूजा के लिए फूल माला या दीप कलश रखना भी उत्तम रहेगा। आपको बस पूरी श्रद्धा से ईश्‍वर की आराधना करनी है।

पूजन विधि

व्रती को सुबह स्‍नान के पश्‍चात् शुद्ध वस्‍त्र धारण करने चाहिए। इसके पश्‍चात् भगवान गणेश का नाम लेकर पूजन आरंभ करें। पूजन आरंभ करने से पूर्व वेदी या पूजन स्‍थल को जल से शुद्ध करें। अब लकड़ी के पाटे पर भगवान सत्‍यनारायण की मूर्ति अथवा चित्र की स्‍थापना करें। वेदी के पास केले के पत्ते जरूर लगाएं। इस पर लाल या पीले रंग का वस्‍त्र जरूर बिछाएं। अब भगवान गणेश की कलश स्‍वरूप में स्‍थापना करें। अब अपनी मनोकामना भगवान से कहें।

इसके पश्‍चात् पूजन सामग्री और स्‍वयं पर गंगाजल से छिड़काव करें। अगर पति-पत्‍नी एकसाथ पूजा में बैठ रहे हैं तो उनका गठजोड़ करना चाहिए। अब मंत्रों और विधि के अनुसार क्रम से गणेश जी, भगवान विष्‍णु और शिव-पार्वती का पूजन करें।

कथा पढ़ें

पूजन के बाद कथा पढ़ना शुरु करें। सत्‍यनारायण कथा का सार एक ही है कि मनुष्‍य को कभी भी सत्‍य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए वरना उसके धर्म और कर्म दोनों ही नष्‍ट हो सकते हैं। कथा के पश्‍चात् वहां उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद बाटें।

सत्‍यनारायण व्रत का फल

सत्‍यनारायण व्रत से मनुष्‍य की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्‍ति भी होती है। सत्‍यनारायण भगवान की कृपा से मनुष्‍य का जीवन सुखों से भर जाता है और उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं।

अगर आपकी भी कोई मनोकामना अधूरी रह गई है तो आप भी पूर्णिमा के दिन सत्यानारायण भगवान की पूजा कर सकते हैं। विधिपूर्वक व्रत एवं पूजन करने से निश्चित ही सत्‍यनारायण भगवान आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगें।

 

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