दान देने से पहले जान लें इसके नियम
दान देने के नियम – शास्त्रों में दान देने को पुण्य कर्म माना गया है। दान का फल तभी मिलता है जब आप सही व्यक्ति को सही दान दें। शास्त्रों में दान को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं। दान देने से पूर्व हर व्यक्ति को इन नियमों का ध्यान रखना चाहिए।
आइए जानते हैं दान देने के नियम – दान देने के पहले किन नियमों के बारे में जानना जरूरी है।
दान देने के नियम –
– हर व्यक्ति को अपनी मेहनत की कमाई का दसवां भाग ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए सत्कर्मों में लगाना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार, पत्नी या संतान को दुखी करके दान करता है तो उसे वह दान जीवित रहने के साथ-साथ मृत्यु के पश्चात् भी दुख देता है।
– जो दान स्वयं जाकर दिया जाए वो उत्तम दान की श्रेणी में आता है वहीं घर बुलाकर दिया गया दान मध्यम फलदायी होता है। ब्राह्मणों, गौ और रोगी व्यक्ति को आप कुछ भी दान में दे सकते हैं। दान देते समय जो व्यक्ति टोकता है वह दुख भोगता है।
– यदि आप तिल, कुश और चावल को हाथ में लेकर दान नहीं करते हैं तो आपके दान पर दैत्य का अधिकार हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार देवताओं को चावल के साथ और पितरों को तिल के साथ दान देना चाहिए।
– पूर्व की ओर मुख करके दान दें एवं उत्तर की ओर मुख करके दान लेना चाहिए। इस तरह दान करने से दान देने वाली आयु में बढ़ोत्तरी होती है एवं दान लेने वाले की आयु में भी कमी नहीं आती है।
– मृत्यु के बाद के कष्टों से बचने के लिए अन्न, जल, घोड़ा, गाय, वस्त्र, शय्या, छत्र और आसन का दान करें।
– किसी रोगी व्यक्ति की सेवा करना, देवताओं की पूजा करना और ब्राह्मणों को दान देना एवं उनकी सेवा करना गौदान के समान है।
– निर्धन, जरूरतमंद, विकलांग, अनाथ और रोगी व्यक्ति को दिया गया दान महान पुण्य प्रदान करता है।
– जिस ब्राह्मण को विद्या का ज्ञान ना हो, उसे दान करने से बुद्धि की हानि होती है।
ये है दान देने के नियम – जब भी दान करें तो दान के इन नियमों को ध्यान में रखें। यदि आप नियम के अनुसार दान नहीं करेंगें तो आपको उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाएगा।