इनके श्राप की वजह से नहीं हो पाई थी राधा की श्रीकृष्ण से शादी
कहते हैं कि सदियों से और सदियों तक राधा और कृष्ण का प्रेम अमर है. इनका प्रेम इतना गहरा है कि हमेशा कृष्ण से पहले राधा का नाम आता है. श्रीकृष्ण् की सोलह हज़ार रानियां होने के बावजूद सिर्फ राधारानी का नाम ही कृष्ण के साथ लिया जाता है. इतने प्रेम के बावजूद भी कभी राधा और कृष्ण का मिलन नहीं हो पाया. क्या आप इसके पीछे छिपे कारण के बारे में जानते हैं.
आज हम आपको बताते हैं कि किस वजह से राधा और श्रीकृष्ण की अटूट प्रेम और बंधन के बावजूद विवाह नहीं हो पाया था. दरअसल, इसके पीछे का कारण राधा का मिला एक श्राप था. जी हां, ब्रह्मावैवर्त पुराण में उल्लिखित कथा के अनुसार राधा जी को मिले श्राप के कारण ही कभी उन्हें उनका प्रेम नहीं मिल पाया था.
ये है कथा
ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण की प्रिय राधा उनके साथ गोलोग में वास करती थी. एक बार राधा की अनुपस्थिति में श्रीकृष्ण अपनी पत्नी विरजा के साथ विहार कर रहे थे. अपने प्राणों से भी प्रिय श्रीकृष्ण को किसी अन्य स्त्री के साथ विहार करते हुए राधा रानी से रहा नहीं गया और उन्होंनें श्रीकृष्ण को अपवचन कह दिए. राधा के क्रोध से विचलित होकर विरजा ने नदी का रूप लेकर वहां से अंतर्धान हो गई.
इन्होंने दिया श्राप
उस समय वहां उपस्थित श्रीकृष्ण के मित्र और सेवक श्रीदामा को राधा रानी का श्रीकृष्ण को अपवचन कहना बिलकुल ठीक नहीं लगा और उन्होंनें क्रोध में आकर राधा रानी का बहुत अपमान किया. श्रीदामा अपने प्रभु श्रीकृष्ण के लिए राधा के मुंह से कटु वचन सुन नहीं पाए और क्रोध में उनसे भी यह पाप हो गया. श्रीदामा के ऐसे व्यवहार से राधा और भी ज्यादा क्रोधित हो गईं और उन्होंनें श्रीदामा को ये श्राप दिया कि वे अगले जन्म में राक्षस कुल में जन्म लेंगें. तब इसके जवाब में श्रीदामा ने राधा को पृथ्वी लोक पर मानव रूप में जन्म लेने का श्राप दिया. साथ ही श्रीदामा ने राधा को यह श्राप भी दिया कि मानव रूप में वह सदा अपने प्राण प्रिय श्रीकृष्ण को पाने के लिए तरसेंगीं. अगले जन्म में इसी श्राप के कारण श्रीदामा शंखचूड़ नामक असुर बना. वहीं श्राप के कारण राधा रानी को वृषभानु और कीर्ति की पुत्री के रूप में जन्म लेना पड़ा.
ऐसे हुआ श्राप सिद्ध
पृथ्वी लोक पर जन्म लेने के कुछ समय बाद राधा रानी के जीवन पर पूर्व जन्म में मिले श्राप का असर पड़ना शुरु हो गया. रासलीलाएं समाप्त कर श्रीकृष्ण को कंस से युद्ध के लिए वृंदावन जाना पड़ा और यहीं से राधा और श्रीकृष्ण के वियोग की शुरुआत हुई. श्रीकृष्ण के जाने के बाद राधा का विवाह एक वैश्य रायाण से हो गया और वे सदा के लिए श्रीकृष्ण के प्रेम से दूर हो गईं. राधा के बारे में कहा जाता है कि वे अपने पति वायाण के पास अपनी छाया स्थापित कर वापस वैकुंठ लौट गईं थीं.
तो इस तरह श्रीदामा के श्राप के कारण राधा और श्रीकृष्ण का मिलन नहीं हो पाया था लेकिन इनका प्रेम आज भी अजर-अमर है.