कभी हुआ ही नहीं था माता सीता का अपहरण !
सीता का अपहरण – रामायण काल में रावण के सीता हरण के कारण माता सीता को अनेक कष्टों और अपमान को सहना पड़ा था। रावण की अशोक वाटिका में दो वर्ष रहने के बाद समाज में माता सीता के प्रति संदेह उत्पन्न होने लगा था।
वैसे तो आज भी माता सीता को अत्यंत पवित्र और आदर्श माना जाता है किंतु समाज में सीताजी की अपवित्रता के बारे में फैली धारणा को लेकर श्रीराम ने अपनी प्रतिष्ठा को बचाने हेतु अपनी पत्नी का त्याग कर दिया था।
लोक-लाज और अपने धर्म के पालन के लिए श्रीराम ने माता सीता का त्याग कर दिया था किंतु ये कहां तक उचित है?
क्या सच में भगवान राम ने माता सीता को छोड़ दिया था। चलिए जानते हैं रामायण काल के इस सत्य के बारे में।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण में श्लोक के रूप में श्रीराम के जन्म से लेकर मृत्यु तक का वर्णन है। किवदंती है कि वनवास के दौरान माता सीता ने महर्षि वाल्मीकि को रामायण की कथा सुनाई थी।
रामायण के अलावा अनेक पौराणिक ग्रंथों, कथाओं और लोकगीतों में भगवान राम के जीवन को चरितार्थ किया गया है। पद्मपुराण में भी रामायण के विषय में 55,000 छंद हैं। इस पुराण में कुछ ऐसी घटनाओं का वर्णन है तो वास्तव में रामायण काल में घटित हुईं थीं। इस ग्रंथ में माता सीता का अपहरण से लेकर उसके बाद के जीवन का गहराई से वर्णन किया गया है।
पद्मपुराण के छंदों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि रामायण में दो सीता थीं। श्रीराम से जिनका विवाह हुआ था वह असली सीता थी जबकि रावण के पास मायावी सीता गई थी।
भगवान राम द्वारा रावण का वध करने के बाद माता सीता को वापिस अयोध्या ले जाने की तैयारियां चल रहीं थी। तभी श्रीराम ने माता सीता से अग्निपरीक्षा देने को कहा। अग्निपरीक्षा देने के बाद माता सीता की पवित्रता और निष्ठा स्पष्ट हो गई थी लेकिन इसके बाद भी सीताजी को अयोध्या क्यों छोड़ना पड़ा था।
पद्मपुराण की मानें तो माता सीता को अग्निपरीक्षा नहीं देनी पड़ी थी और न ही वे भगवान राम के साथ वनवास गईं थी।
त्रेतायुग की सच्चाई
रामायण युग में यह माना जाता था कि सच्चे और ईमानदार व्यक्ति को अग्नि नुकशान नहीं पहुंचाती है। वनवास के दौरान माता सीता को ज्ञात था कि रावण उनका अपहरण करेगा और इसीलिए वे सदा अग्नि देव की पूजा करती थीं।
अग्निदेव माता सीता की भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्होंने माता सीता के स्थान पर एक मायावी सीता को बैठा दिया जिसका अपहरण की रावण लंका ले गया था। भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम इस बात को जानते थे किंतु फिर भी अपने धर्म के पालन के लिए उन्होंने रावण से युद्ध किया और धर्म की स्थापना की।
रावण की मृत्यु के पश्चात् भगवान राम ने ही माया सीता से वापिस चले जाने को कहा था। इसलिए अग्निपरीक्षा के दौरान असली सीता माता बाहर आईं थीं जिसका अपहरण रावण ने नहीं किया था और जो पवित्र थीं।
पौराणिक कथाओं और ग्रंथों के अनुसार इस तरह माता सीता का अपहरण कभी हुआ ही नहीं था।