शनि से भी ज्यािदा खतरनाक हैं ये दो ग्रह !
सौरमंडल के नौ ग्रहों में शनि देव को सबसे क्रूर माना जाता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। शनि को पाप ग्रह भी कहा जाता है लेकिन इसके साथ ही शनि न्याय के देवता भी हैं। ज्योतिष में शनि को मारक, अशुभ और दुख का कारक माना जाता है।
शनि देव कमज़ोर स्वास्थ्य, परेशानियां, मृत्यु, दीर्घायु, नपुंसकता, वृद्धावस्था और क्रोध एवं संघर्ष का प्रदाता हैं। शनि देव न्याय के देवता होने के नाते प्रकृति में संतुलन पैदा करते हैं। गलत काम और पाप करने वालों को शनि देव कभी क्षमा नहीं करते हैं। साथ ही सज़ा देते समय शनि देव बिलकुल भी नरमी नहीं बरतते हैं।
लेकिन शनि देव केवल गलत काम और बेईमान लोगों को ही प्रताडित करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार शनि न्याय के देवता है और इसीलिए वे केवल बेईमान लोगों को परेशान करते हैं जबकि राहू और केतु, शनि से ज्यादा खतरनाक प्रभाव देते हैं।
राहू और केतु दोनों ही छाया ग्रह हैं। इन दोनों ग्रहों का कोई अस्तित्व नहीं है।
कहते हैं कि इन दो ग्रहों की छाया जिस पर भी पड़ जाए उस व्यक्ति का बुरा समय शुरु हो जाता है। राहु और केतु के प्रकोप से पीडित जातक का साथ उसकी खुद की छाया भी छोड़ देती है। ये दोनों ग्रह मिलकर किसी भी बुद्धिमान व्यक्ति को अनिष्ट की ओर ढकेल सकते हैं। राहु और केतु की महादशा के दौरान व्यक्ति अपना ही शत्रु बन जाता है और खुद को बर्बाद करने लगता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहु और केतु, शनि देव के ही अनुचर हैं। राहु और केतु का अशुभ प्रभाव शनि के न्याय का ही हिस्सा होता है।
- अगर कुंडली में शनि दोष हो तो जातक को छाती, पैर, पांव, गुदा और स्नायुतंत्र से संबंधित रोग हो सकते हैं। शनि के प्रकोप में घातक और असाध्य रोग हो सकते हैं। शनि के दुष्प्रभाव में कैंसर, लकवा, ट्यूमर, थकान, मानसिक रोग और परेशानियां आती हैं।
- छाया ग्रह राहु अल्सर और अज्ञात भय का कारक है। राहु के अशुभ प्रभाव में सर्पदंश का खतरा रहता है। यह कालसर्प योग का मुख्य कारण है जो जीवन को नरक बनाकर रख देता है। चंद्रमा के साथ होने पर राहु विभिन्न प्रकार का फोबिया पैदा करता है।
- केतु के प्रकोप से अपने प्रकार की बीमारियां पनपती हैं। केतु भी मंगल की तरह शल्यक्रिया का सामना करता है। इन ग्रहों के अनुकूल होने पर जातक को यश, कीर्ति, मान-सम्मान, सुख-समृद्धि और भाग्यशाली बनाता है।
ज्योतिषशास्त्र में शनि, राहू और केतु तीनों को ही जीवन के लिए खतरनाक बताया गया है। ये तीनों ही ग्रह जीवन में परेशानियां पैदा करते हैं। लेकिन कुछ उपायों द्वारा ग्रहों की शांति की जा सकती है।