शनि और राहु के प्रकोप से बचा सकता है शिव का ये चमत्कारिक मंत्र !
ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों की बुरी दृष्टि और प्रकोप के कारण व्यकति को जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
राहु छाया ग्रह है और शनि देव को सबसे अधिक क्रूर ग्रह माना जाता है। ये दो ग्रह जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। ज्यादातर इन ग्रहों का प्रभाव नकारात्मक ही होता है। राहु और शनि के प्रकोप में व्यक्ति का जीवन नर्क के समान बन सकता है लेकिन इन ग्रहों को शांत करने के लिए अगर उपाय किए जाएं तो इनके अशुभ फलों से बचा जा सकता है।
भगवान शिव के आगे हर समस्या गौण है। शिव के मंत्रों के जाप से ग्रहों की बिगड़ती स्थिति को काबू किया जा सकता है।
राहु और शनि का प्रभाव
राहु और शनि के कारण कुंडली में बुरे और घातक योग बन सकते हैं। ये दोनों ग्रह मृत्यु के समान शारीरिक और मानसिक कष्ट दे सकते हैं।
इन ग्रहों के योग से कुंडली में कालसर्प योग और पितृदोष भी बनता है। इन दोषों के कारण व्यक्ति को गहरी मानसिक परेशानियां हो सकती हैं।
शास्त्रों के अनुसार सभी ग्रह काल गणना के आधार हैं और काल पर शिव का नियंत्रण है इसलिए महाकाल यानि शिव की उपासना से ग्रह दोष की शांत होती है। ज्योतिष में शिव के ऐसे अचूक मंत्रों का जाप करने के बारे में बताया गया है जा ग्रह पीड़ा को शांत करने के साथ-साथ मनचाहे फल भी प्रदान करते हैं।
आपको ग्रह पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाला चमत्कारिक मंत्र है – शिव गायत्री मंत्र। चलिए जानते हैं शिव गायत्री मंत्र की जाप विधि।
किसी भी शनिवार, सोमवार या शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को गंध, पुष्प, अक्षत, धूप-दीप और नैवद्य के साथ फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं। इसके पश्चात् शिव गायत्री मंत्र का जाप करें। मंत्र है -:
ऊं तत्पुरुषाय विद्महे।
महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।
मंत्र का महत्व
शास्त्रों के अनुसार शनि देव, भगवान शिव के परम भक्त हैं। शिव के आदेश पर ही हर प्राणी को शनि देव उसके कर्मों के आधार पर दंड देते हैं इसलिए शनि और राहु जैसे ग्रहों की पीड़ा को शिव पूजन एवं शिव गायत्री मंत्र के द्वारा शांत किया जा सकता है। ये पूजा खासतौर पर शनिवार, सेामवार के दिन करना अधिक फलदायी रहती है।
अगर आप राहु या शिन के प्रकोप से पीडित हैं तो आपको भगवान शिव का ये उपाय अवश्य करना चाहिए।