इस ज्योतिर्लिंग के दर्शनमात्र से टल जाता है अकाल मृत्यु का संकट !
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – ‘अकाल मौत वो मरे जो कर्म करे चंडाल का, काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का’.
जी हां, जो भगवान शिव की शरण में होते हैं काल भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ही हैं जो किसी भी व्यक्ति को अकाल मृत्यु के संकट से उबार कर उसे लंबी उम्र का वरदान दे सकते हैं.
इसलिए आज हम आपको भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल, एक ऐसे खास ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके दर्शनमात्र से अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है.
उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
अवंतिका, उज्जयिनी जैसे नामों से मशहूर मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है. पुराणों के अनुसार क्षिप्रा नदी के किनारे बसा उज्जैन भगवान शिव को बहुत प्रिय था.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक समय अवंतिका नगरी में एक ब्राह्मण अपने चार पुत्रों के साथ रहता था. तब दूषण नाम के एक राक्षस ने इस शहर में अपना आतंक मचा रखा था. इस राक्षस से खुद को और अपने नगर वासियों को बचाने के लिए उस ब्राह्मण ने भगवान शिव की आराधना की थी.
ब्राह्मण की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव धरती का सीना चीरकर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और उस राक्षस का वध करके पूरे नगर की रक्षा की.
जिसके बाद नगर के सभी भक्तों ने भगवान शिव से उसी स्थान पर हमेशा रहने की प्रार्थना की. भक्तों की इस प्रार्थना के बाद भगवान शिव उज्जैन यानी अवंतिका में ही महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा-सदा के लिए स्थापित हो गए.
महाकाल करते हैं अकाल मृत्यु से रक्षा
दुनियाभर में महाकाल ज्योतिर्लिंग का अपना अलग ही महत्व है. इस ज्योतिर्लिंग को कालों का काल माना जाता हैं. इसलिए कहा जाता है कि जो भी भक्त महाकाल के दर्शन करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता.
आपको बता दें कि महाकाल मंदिर के तीन मुख्य खंड हैं. प्रांगण की सतह के बराबर मंदिर का एक ऊपरी खंड है, जहां भगवान शिव का एक लिंग स्थित है. इस शिवलिंग को ओंकारेश्वर कहा जाता है.
दूसरे खंड में ओंकारेश्वर के ठीक नीचे महाकाल ज्योतिर्लिंग स्थित है. जबकि सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर का मंदिर है, जो साल में केवल एक बार नागपंचमी के दिन भक्तों के लिए खोला जाता है.
गौरतलब है कि उज्जैन के बाबा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का शृंगार भस्म और भांग से किया जाता है. यहां होनेवाली भस्म आरती तो दुनिया भर में मशहूर है. यही वजह है कि अकाल मृत्यु के संकट को टालने के लिए भारी तादात में भक्त उज्जैन के राजा महाकाल के दरबार में हाजिरी जरूर लगाते हैं.