पूर्व जन्म में ये बने थे महाभारत के योद्धा
महाभारत में कौन-सा योद्धा अपने पूर्व जन्म में क्या था – महाभारत को ब्रह्मांड का सबसे बड़ा युद्ध कहा जाता है।
महाभारत युद्ध के बारे में कई रहस्य हैं जिनके बारे में आज तक पता नहीं चल पाया है। महाभारत में इस बात को भी स्पष्ट किया गया है कि मृत्यु से जीवन का अंत नहीं होता है। आत्मा को फिर किसी न किसी रूप में दोबारा जन्म लेकर इस संसार में आना ही पड़ता है। महाभारत में ऐसे कई योद्धा थे जिनका पहले भी जन्म हो चुका था और अपने पूर्व जन्म के पापों के कारण ही उन्हें महाभारत में कष्ट देखना पड़ा था।
तो चलिए जानते हैं कि महाभारत में कौन-सा योद्धा अपने पूर्व जन्म में क्या था।
महाभारत में कौन-सा योद्धा अपने पूर्व जन्म में क्या था
श्रीकृष्ण
श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार कहा जाता है। इसका अर्थ है कि इस अवतार से पहले वे सात जन्म ले चुके थे। माना जाता है कि मूल रूप से श्रीकृष्ण अपने पूर्व जन्म में नारायण थे। इस रूप में उन्होंने बद्रीनाथ में हज़ारों वर्षों तक तपस्या की थी। इस बात का जिक्र गीता में भगवान कृष्ण ने स्वयं अर्जुन से किया है कि हे! अर्जुन पूर्व जन्म में मैं नारायण और तुम नर थे।
अर्जुन
महाभारत का सबसे वीर योद्धा था अर्जुन जिसके सामर्थ्य की चर्चा पूरे संसार में होती थी। बताया जाता है कि अर्जुन पूर्व जन्म में नारायण के जुड़वां भाई नर के रूप जन्मे थे। अपने पूर्व जन्म में नर और नारायण ने दंभोद्भवा नाम के असुर का वध करने के लिए जन्म लिया था। महाभारत युद्ध में भी इस असुर का अंत अर्जुन ने ही किया था।
भीष्म पितामह
गंगा पुत्र भीष्म को अपने पूर्व जन्म के श्राप के कारण आजीवन दुख झेलना पड़ा था। किवदंती है कि भीष्म अपने पूर्वजन्म में एक वसु थे जिन्होंनें अपनी पत्नी के हठ के कारण ऋषि वशिष्ठ की गाय चुरा ली थी। इस बात से क्रोधित होकर ऋषि ने उन्हें मनुष्य रूप में पृथ्वी पर जन्म लेने का श्राप दिया और इस जन्म में उन्हें आजीवन अविवाहित रहना पड़ा था।
शिखंडी
महाभारत युद्ध में भीष्म की मृत्यु का कारण बनने वाली शिखंडी अपने पूर्वजन्म में काशी की राजकुमारी अंबा थी।
कर्ण
सूर्य पुत्र कर्ण ने कवच कुंडलों के साथ ही जन्म लिया था। कहा जाता है कि पूर्वजन्म में कर्ण ही दंभोद्भवा नामक असुर था।
द्रौपदी
विष्णु पुराण के अनुसार पांडवों की पत्नी पांचाली अपने पूर्व जन्म में एक विधवा ब्राह्मणी थी। इस रूप में उसकी कामना थी कि उसे अपने अगले जन्म में सर्वगुण संपन्न पति की प्राप्ति हो। इसी वजह से द्रौपदी को पांच पति मिले थे।
शिशुपाल
महाभारत युद्ध से पूर्व ही भगवान कृष्ण ने भरी सभा में शिशुपाल का वध कर दिया था। कहा जाता है कि शिशुपाल अपने पूर्वजन्म में हिरश्यकश्यप था।
धृतराष्ट्र
महाभारत काल में धृत्राष्ट्र ने नेत्रहीन राजा के रूप में जन्म लिया था। कहा जाता है कि अपने पूर्वजन्म में धृत्राष्ट्र एक दुष्ट राजा था। एक बार एक हंस को अपने बच्चों के साथ देखकर उनके मन में हंस की आंख पाने की इच्छा हुई। उन्होंने सैनिकों को आदेश दिया कि हंस की आंख निकाल लो और उसके बच्चों को मार दो। इसी वजह से महाभारत काल में धृत्राष्ट्र नेत्रहीन हुए थे और युद्ध में उनके सौ पुत्र मारे गए थे।
महाभारत में कौन-सा योद्धा अपने पूर्व जन्म में क्या था – इस प्रकार महाभारत युद्ध में सभी योद्धाओं को अपने पूर्व जन्म के पापों का परिणाम भोगना पड़ा था।