शिव महापुराण के अनुसार इस देवता से हुआ था भगवान शिव का जन्म
देवों के देव महादेव जितना शक्तिशाली इस पूरे संसार में नहीं है. भगवान शिव की महिमा अपरंपार है. शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि वे बड़े भोले हैं और अपने भक्तों की मनोकामना बहुत जल्द पूरी कर देते हैं. एकमात्र भगवान शिव ही ऐसे हैं जिनकी पूजा भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है. बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु भगवान शिव में आस्था रखते हैं.
भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ, इस बात का आज तक किसी को आभास नहीं है. लेकिन कहते हैं कि शिव युगों-युगों से शक्ति पुंज के रूप में संसार में विद्यमान हैं. शास्त्रों में भगवान शिव को जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त बताया गया है किंतु शिव पुराण में भगवान शिव के जन्म से जुड़ी एक कथा का वर्णन है.
शिव महापुराण में भगवान शिव के जन्म और उनके पिता से संबंधित एक कथा का वर्णन किया गया है. शिव महापुराण की इस कथा के अनुसार नारद जी, ब्रह्मा जी से शिव के जन्म के बारे में प्रश्न पूछते हैं. नारद जी पूछते हैं कि इस संसार की रचना किसने की है? त्रिदेवों में सृष्टि का रचनाकार कौन है और संसार में त्रिदेवों के जन्म का क्या आधार और इनका जन्मदाता कौन है?
तब ब्रह्मा जी नारद मुनि के इन सभी प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहते हैं कि भगवान शिव स्वरूप ब्रह्मा के योग और देवी दुर्गा से ब्रह्मा, विष्णु और महेश का जन्म हुआ है. अर्थात् ब्रह्मा रूपी शिव पिता और मां दुर्गा त्रिदेवों की माता हैं.
किवदंती है कि एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच खुद को सर्वोपरि साबित करने के कारण विवाद हो गया. ब्रह्मा जी ने कहा इस संसार का पिता मैं हूं तो वहीं विष्णु जी का तर्क था कि मैं संसार का पालनहार हूं. तब ये दोनों इस बात का फैसला करवाने के लिए भगवान शिव के पास गए.
ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु के इस विवाद को देखते हुए काल ब्रह्मा यानि सदाशिव ने उन दोनों के मध्य एक स्तंभ खड़ा कर दिया. यह स्तंभ सफेद रंग का चमकता हुआ सा प्रतीत हो रहा था. इसके पश्चात् सदाशिव ने शंकर के रूप में प्रकट होकर कहा कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से कोई भी कर्ता नहीं है. तुम तीनों मेरे ही अंश हो और मेरे अंश से ही तुम तीनों की उत्पत्ति हुई है. इस प्रकार तुम तीनों में से कोई भी सर्वश्रेष्ठ नहीं है. तुम तीनों की ही उत्पत्ति संसार के पालन और रचना के लिए हुई है.
अंतत: महा शिवपुराण की इस कथा से ज्ञात होता है कि त्रिदेवों का जन्म मां दुर्गा और काल ब्रह्मा यानि सदाशिव से हुआ है. इस प्रकार भगवान शिव के पिता सदाशिव और माता देवी दुर्गा हुईं. वैसे भी मां दुर्गा को तो पूरा संसार ही नमन करता है. उनकी शक्ति के आगे त्रिदेव भी नमन करते हैं.
इस कथा से ज्ञात होता है कि त्रिदेवों से भी ज्यादा शक्तिशाली देवी शक्ति यानि मां दुर्गा हैं क्योंकि उन्होंनें ही त्रिदेवों को जन्म दिया है और इस प्रकार वे केवल संसार की ही नहीं बल्कि संसार के पालनहारों की भी माता हैं.