भगवान शंकर के बारे में फैले हैं ये 5 बड़े झूठ
भगवान शंकर के बारे में झूठ – देवों के देव महादेव इस पूरे संसार में सर्वोपरि हैं।
कभी भी कहीं भी ऐसी कोई भी शक्ति नहीं देखी गई जो भगवान शिव के आगे टिक सके। भगवान शिव की महिमा ही ऐसी है कि हर कोई उनकी भक्ति में लीन रहता है। हिंदू ही नही बल्कि विदेशी भी भगवान शिव पर अटूट आस्था रखते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर के बारे में झूठ प्रचलित हैं। आज हम आपको उन्हीं भ्रांतियों के बारे में बताएंगें जो भगवान शिव के बारे में फैली हुई हैं।
भगवान शंकर के बारे में झूठ –
भ्रांति 1
कई लोगों का मानना है कि भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग उनका शिश्न है। शिवलिंग का अर्थ है भगवान शिव का आदी-अनादि रूप। यह शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड में घूम रहे पिंडो का प्रतीक है। ये बात बिलकुल असत्य है कि भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग उनका शिश्न है। शास्त्रों में शिवलिंग को बेहद पवित्र और पूजनीय बताया गया है।
भ्रांति 2
भगवान शिव के बारे में दूसरी भ्रांति प्रचलित है कि वे भांग का पान करते हैं जबकि शिवपुराण सहित किसी भी ग्रंथ में ऐसा नहीं लिखा कि भगवान शिव भांग का सेवन करते थे। इस प्रकार की भ्रांति फैलाना भगवान शंकर का अपमान करने जैसा है। शिव के नाम पर भांग का सेवन करना पाप है।
भ्रांति 3
तीसरी भ्रांति है कि भगवान शिव नहीं जानते थे कि गणेश जी माता पार्वती के पुत्र थे। भगवान शिव को संसार की हर बात का ज्ञान होता है कि लेकिन लोग ये बात नहीं जानते कि भगवान शिव का संपूर्ण जीवन लीला है। लीला उसे कहते हैं जिसमें उन्हें सब कुछ मालूम होता है लेकिन फिर भी वे अनजान बनकर जीवन के इस खेल को सामान्य मानव की तरह खेलते हैं। वे अपने जीवन की घटनाओं को स्वयं ही संचालित करते हैं।
भ्रांति 4
भगवान शिव के बारे में सबसे अनुचित भ्रांति ये फैलाई जाती है कि वे और माता पार्वती आदम और ईव थे जिनसे इस पूरी सृष्टि का निर्माण हुआ है। कुछ विद्वानों का मानना है कि स्वायंभुव मनु और शतरूपा ही आदम और हव्वा थे। शिव और पार्वती को आदम और ईव कहने वाले लोग मानते हैं कि शिव और पार्वती कैलाश पर्वत से श्रीलंका चले गए थे। शास्त्रों के अनुसार इस बात में कोई सच्चाई नहीं है।
भ्रांति 5
भगवान शंकर को ही महेश, रुद्र, महाकाल और भैरव भी कहा जाता है। सभी पौराणिक कथाओं में इन सभी रूपों को शिव से जोड़ देने का विस्तार मिला है। शिव और शंकर की प्रतिमाएं दो अलग आकृतियों की हैं। रुद्रों के भी प्रकार अलग-अलग हैं। रुद्र देवता शिव की पंचायत के सदस्य हैं। ये सभी किसी न किसी रूप में भगवान शिव से जुड़े हुए हैं किंतु ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिलता है कि ये सभी शिव के ही रूप हैं।
ये है भगवान शंकर के बारे में झूठ – भगवान शिव की शक्ति के आगे राक्षस, दैत्य और देवता में से आज तक कोई भी नहीं टिक पाया है। कई योद्धओं ने शिव को कई बार युद्ध के लिए ललकारा लेकिन कभी कोई उनसे जीत नहीं पाया।