महाभारत में स्त्री बनकर श्रीकृष्ण को करना पड़ा था इस योद्धा से विवाह
भगवान श्रीकृष्ण को अनेक नामों से जाना जाता है. वो कभी नटखट कान्हा के रूप में तो कभी महाभारत युद्ध के कूटनीतिज्ञ के रूप में हमेशा प्रसिद्ध रहे हैं. कान्हा के नाम और रूप दोनों ही अनेक हैं और वे अपने हर रूप में अपने भक्तों का मन मोह लेते हैं.
महाभारत युद्ध पर लिखी गीता में श्रीकृष्ण ने कई ऐसी बातें बताईं हैं जो आज के समय में भी सार्थक मानी जाती हैं. महाभारत के ऐसे अनके पात्र हैं जो आज भी हमें हमारे जीवन को एक सही दिशा देने में मदद करते हैं.
वैसे तो महाभारत काल की कई कथाएं प्रचलित हैं किंतु क्या आप श्रीकृष्ण के अर्जुन के पुत्र इरावन के साथ विवाह के बारे में जानते हैं. चलिए आज हम आपको इस कथा से अवगत कराते हैं.
दरअसल महाभारत युद्ध के दौरान अपने पिता अर्जुन को जीत दिलाने के लिए उनके पुत्र इरावन ने अपनी बलि दी थी. बलि देने से पहले इरावन की विवाह करने की अंतिम इच्छा थी. इरावन चाहता था कि मृत्यु से पहले उसका विवाह हो जाए. किंतु जो एक दिन बाद मरने वाला है उससे कोई विवाह क्यों करेगा. उस समय इरावन से विवाह करने के लिए कोई भी कन्या राज़ी नहीं थी.
इसलिए दी थी इरावन ने अपनी बलि
पांडवों को महाभारत युद्ध में जीत के लिए मां काली को एक राजकुमार की बलि देनी थी लेकिन कोई भी राजकुमार स्वयं की बलि के लिए तैयार नहीं था. अपने पिता और परिवार को इस दुविधा से निकालने के लिए अर्जुन पुत्र इरावन ने अपनी बलि देने का फैसला किया.
श्रीकृष्ण ने किया विवाह
एक दिन के लिए विवाह करने के प्रस्ताव के कारण कोई भी कन्या इरावन से विवाह करने के लिए स्वीकृत नहीं थी. इस दुविधा के हल के लिए पांडव श्रीकृष्ण के पास गए. तक पांडवों को जीत दिलाने हेतु श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप धारण कर इरावन की अंतिम इच्छा पूरी की. जी हां, श्रीकृष्ण ने मोहिनी यानि एक स्त्री के रूप में एक दिन के लिए इरावन से विवाह किया था. विवाह के पश्चात् अपने पति इरावन की मृत्यु पर श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप में विलाप भी किया था.
मोहिनी रूप में श्रीकृष्ण को माना गया है किन्नर
शास्त्रों के अनुसार पुरुष होते हुए भी श्रीकृष्ण को स्त्री रूप लेकर एक पुरुष से विवाह करना पड़ा था. इस कारण उन्हें मोहिनी रूप में किन्नर माना जाता है. इस तरह इरावन को किन्नरों का स्वामी भी माना जाता है. कहते हैं कि महाभारत काल में श्रीकृष्ण के स्त्री रूप में इरावन से विवाह करने के कारण इरावन किन्नरों के देवता बन गए और फिर उसके बाद से किन्नर एक दिन के लिए इरावन से विवाह करते हैं. पौराणिक कथाओं में भी कई बार इस बात की पुष्टि की गई है कि किन्नर एक दिन के लिए विवाह करते हैं और उनका विवाह किसी इंसान से नहीं बल्कि एक देवता से होता है और वे देवता हैं अर्जुन पुत्र इरावन.
तो इस तरह महाभारत युद्ध में पांडवों की जीत के लिए श्रीकृष्ण को स्त्री रूप में इरावन से विवाह करना पड़ा था.