कर्ण की मृत्यु्

महाभारत युद्ध में कर्ण की मृत्यु् के पीछे छिपे थे ये कारण !

कर्ण की मृत्यु् – अब तक का सबसे बड़ा धर्मयुद्ध था महाभारत जिसमें असंख्‍य योद्धाओं की मृत्‍यु हुई थी।

18 दिन तक चले इस युद्ध में सत्रहवें दिन पांडव पुत्र अर्जुन ने निहत्‍थे कर्ण पर दिव्‍यास्‍त्र का प्रयोग किया था। मान्‍यता है कि अर्जुन के दिवायस्‍त्र से ही कर्ण की मृत्यु् हुई थी किंतु ये पूर्ण सत्‍य नहीं है। कर्ण की मृत्‍यु के पीछे कुछ ऐसे कारण भी थे जिनके ना होने पर कर्ण को मार पाना असंभव था।

आइए आज हम कर्ण की मृत्यु् के कारणों के बारे में जानते हैं।

कर्ण की मृत्यु् – 

– कर्ण ने गुरु परशुराम से अपनी पहचान छिपाकर शिक्षा प्राप्‍त की थी। सत्‍य ज्ञात होने पर परशुराम जी ने उसे श्राप दिया था कि तुम सबसे अधिक जरूरत पड़ने पर ही मेरी शिक्षा भूल जाओगे। युद्धभूमि में भी ऐसा ही हुआ है।

– एक बार कर्ण के रथ के नीचे गाय की बछिया आ गई थी जिसके कारण ब्राह्मण ने उसे श्राप दे दिया था कि जिस रथ के नीचे इस बछिया के प्राण गए हैं उसी रथ का पहिया तुम्‍हे मृत्‍यु तक पहुंचाएगा। युद्ध के दौरान कर्ण के रथ का पहिया जमीन में धंस जाता है और तभी अर्जुन कर्ण पर दिव्‍यास्‍त्र का प्रयोग कर देता है।

– महाभारत युद्ध में अपने पुत्र अर्जुन की रक्षा के लिए इंद्र देव ने कर्ण से उसका रक्षा कवच मांग लिया था। महादानी कर्ण ने उन्‍हें अपना स्‍वर्ण रक्षा कवच दान में दे दिया। यदि कर्ण इसका दान नहीं करते तो उन पर दिव्‍यास्‍त्र का असर नहीं होता।

– कर्ण की हार की सबसे मुख्‍य वजह यही थी कि वह युद्ध में अधर्म और अधर्म करने वाले दुर्योधन का साथ दे रहे थे। इस युद्ध में धर्म की विजय निश्‍चित थी और इसीलिए कर्ण को हारना पड़ा और अर्जुन की जीत हुई।

– अपनी मां कुंती को दिए गए वचन के कारण भी कर्ण ने युद्धभूमि में मृत्‍यु को स्‍वीकार किया था। अपने भाईयों के प्राणों की रक्षा के लिए कर्ण ने अपने प्राण त्‍यागने का निश्‍चय किया था।

कर्ण की मृत्यु् – इस प्रकार महाभारत युद्ध में सबसे बड़ा योद्धा और दानी कर्ण का अंत हुआ था। इन कारणों के बिना कर्ण का वध करना अर्जुन तो क्‍या किसी के लिए भी असंभव था।

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