भारत के इन चार मंदिरों में होती है असुरों की पूजा !
दानवों के मंदिर – हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के पूजन के लिए मंदिर का निर्माण किया गया है।
कहते हैं कि मंदिरों में देवता वास करते हैं लेकिन संसार में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं दानवों के मंदिर है, जहां पर देवताओं की नहीं दानवों की पूजा की जाती है। ये मंदिर असुरों को समर्पित हैं और यहां पर असुरों की ही पूजा की जाती है।
आइए जानते हैं कहाँ है दानवों के मंदिर –
दानवों के मंदिर –
1 – उत्तर प्रदेश का पूतना मंदिर
भगवान कृष्ण के जन्म कंस के कहने पर उन्हें दूध पिलाकर मारने का प्रयास करने वाली पूतना का उत्तर प्रदेश के गोकुल में एक मंदिर है। पूतना एक राक्षसनी थी। इस मंदिर में पूतना की लेटी हुर्द मुद्रा में एक मूर्ति है जिसकी छाती पर बैठकर श्रीकृष्ण दूध पीते दिख रहे हैं। किवदंती है कि श्रीकृष्ण को मारने के लिए ही पूतना ने एक मां के रूप में उन्हें दूध पिलाया था।
2 – उत्तर प्रदेश का दशानन मंदिर
संसार में किसी ने भी अब तक रावण से बड़ा पापी और अधर्मी नहीं देखा। रावण राक्षस कुल का था और आजक उससे सभी नफरत करते हैं लेकिन उत्तरप्रदेश के एक मंदिर में उसकी पूजा की जाती है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 1890 में हुआ था। इस मंदिर के कपाट पूरे साल में सिर्फ एक दिन दशहरे पर ही खुलते हैं। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दशानन के दर्शन के लिए आते हैं। रावण सबसे बड़ा ज्ञानी भी था, बस इसी कारण यहां पर उसकी पूजा की जाती है।
3 – उत्तराखंड का दुर्योधन मंदिर
महाभारत का सबसे बड़ा योद्धा और खलनायक दुर्योधन अपने पाप कर्म और अधर्म के लिए जाना जाता है लेकिन धरती पर एक ऐसी भी जगह है जहां दुर्योधन की पूजा की जाती है। अपने पापकर्मों के कारण दुर्योधन को असुर श्रेणी में रखा गया था किंतु उत्तराखंड के एक मंदिर में उसे पूजा जाता है। उत्तराखंड के नेटवार इलाके में दुर्योधन का एक विशाल मंदिर है जहां पर उसे राक्षस नहीं बल्कि देवता के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर के निकट ही उसके परम मित्र कर्ण का भी एक मंदिर है।
4 – उत्तर प्रदेश का अहिरावण मंदिर
रावण का भाई था अहिरावण जिसने श्रीराम और लक्ष्मण जी का अपहरण किया था। अहिरावण भी रावण की तरह असुर कुल से था। उत्तरप्रदेश के झांसी इलाके में पचकुइंया में अहिरावण का भी एक मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी के साथ अहिरावण की पूजा भी की जाती है। 300 साल पुराने इस मंदिर में अहिरावण के भाई महिरावण की भी पूजा होती है।
ये है दानवों के मंदिर – इन मंदिरों में भक्तों की आस्था देखकर लगता है कि अगर आस्था सच्ची हो तो वो बुराई में भी अच्छाई को ढ़ूंढ ही लेती है। शायद यही वजह है कि इन मंदिरों में देवताओं के स्थान पर असुरों की पूजा की जाती है।