हनुमान जयंती

हनुमान जयंती – भगवान हनुमान के यह 10 नाम जाप करने से बन जायेंगे आपके सभी काम

चैत्र महीने की पूर्णिमा को हनुमान जन्मदिवस मनाया जाता है. बार यह पर्व मंगलवार के दिन यानि 11 अप्रैल को मनाया जाएगा। मान्‍यता है कि इस दिन श्रीराम के परम भक्‍त हनुमान जी का जन्‍म हुआ था। हनुमान जी तो चिरंजीवी हैं और वे अपने भक्‍तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं।हनुमान जन्मदिवस के दिन हनुमान जी को प्रसन्‍न कर अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु कई विशेष उपाय किए जाते हैं किंतु यदि इस दिन आप सिर्फ हनुमान जी के इन 10 नामों में से कोई एक नाम भी ले लें तो वे आपकी मनोकामना अवश्‍य पूर्ण करते हैं।

तो आइए जानते हैं हनुमान जी के इन चमत्‍कारिक 10 नामों के बारे में –

 

भगवान हनुमान जयंती

 

हनुमान -: हनुमान जी को सबसे ज्‍यादा इसी नाम से जाता है। स्‍वयं श्रीराम भी उन्‍हें इसी नाम से पुकारते थे। इस नाम के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी है। दरअसल सूर्य को फल समझकर खा लेने पर देवराज इंद्र हनुमान जी पर बहुत क्रोधित हो उठे थे। इस कारण उन्‍होंनें पवन पुत्र पर अपने वज्र से प्रहार कर दिया था। इंद्र के वज्र का प्रहार हनुमान की की ठोड़ी पर जाकर लगा। ठोड़ी को हनु कहते हैं और इसलिए हनुमान जी का नाम हनु पड़ा।

अंजनिसुत -: हुनमान जी की माता का नाम अंजनि था और सुत का अर्थ होता है पुत्र अर्थात् अंजिन का पुत्र होने के कारण हनुमान जी को अंजनिसुत के नाम से भी जाना जाता है।

पवनपुत्र -: जैसा कि सभी जानते हैं कि हुनमान जी के पिता वायु यानि पवन देव हैं। पवन देव का पुत्र होने के कारण हुनमान जी का नाम पवनपुत्र पड़ा। हनुमान जी को अपने पिता से वायु की तरह तेज गति प्राप्‍त हुई थी।

महाबली -: ये जो सभी जानते हैं कि पृथ्‍वी पर हनुमान जी जितना बलवान और कोई दूसरा नहीं है। उनके बल के आगे रावण को भी हार माननी पड़ी थी और वे हनुमान जी ही थे जिनके बल पर श्रीराम ने रावण को हराया था। अत्‍यंत बलवान होने के कारण हनुमान जी का नाम महाबली पड़ा था।

सीताशोकविनाशन -: रावण की लंका में शोक से व्‍याकुल सीता जी को हनुमान जी ने दर्शन देकर श्रीराम की कुशलता का समाचार सुनाया था। हनुमान जी के ही कारण सीताजी को ये पता चल पाया था कि श्रीराम उन्‍हें लेने आएंगें। इस तरह माता सीता का शोक दूर करने के कारण हनुमान जी को सीताशोकविनाशन भी कहा जाता है।

दशग्रीवदर्पहा -: हनुमान जी ने रावण का घमंड तोड़ा था और इसी कारण उनको ये नाम मिला। दरअसल रावण का अर्थ दशग्रीव है और दर्पहा का अर्थ होता है घमंड तोड़ने वाला। हनुमान जी ने रावण की लंका तक पहुंचने का साहस दिखाया था और फिर उसमें आग लगाकर उन्‍होंनें रावण का घमंड चूर-चूर किया था। इसलिए हनुमान जी का नाम दशग्रीवदर्पहा पड़ा।

अमितव्रिकम -: हनुमान जी ने अपने पूरे जीवन में अपने पराक्रम से कई लोगों का भला किया है। आज कई हज़ारों-करोड़ों सालों बाद भी हनुमान जी अपने पराक्रम के लिए प्रसिद्ध हैं। अमित का अर्थ है अत्‍यधिक और विक्रम का अर्थ होता है पराक्रमी अर्थात् बहुत ज्‍यादा पराक्रमी होने के कारण हनुमान जी को ये नाम मिला।

उदधिक्रमण -: सीताजी का पता लगाने के लिए हनुमान जी को अत्‍यंत विशाल सागर लांघना पड़ा था। इसी वजह से उनको ये ना‍म मिला। दरअसल उदधिक्रमण का मतलब होता है समुद्र का अतिक्रमण करने वाला अर्थात् समुद्र को लांघने वाला।

लक्ष्‍मणप्राणदाता -: रावण के तीरों से घायल होने पर लक्ष्‍मण जी के प्राण संकट में थे। तब अपने श्रीराम के प्रिय भाई के प्राणों की रक्षा करने हेतु संजीवनी बूटी के लिए हनुमान जी पूरा संजीवनी पर्वत उठा लाए थे। उस समय केवल हनुमान जी के ही कारण लक्ष्‍मण जी के प्राण बच सके थे। अर्थात् लक्ष्‍मण जी के प्राणों की रक्षा करने के कारण हनुमान जी को लक्ष्‍मणप्राणदाता भी कहा जाता है।

रामेष्‍ट -: इस बात में कोई शक नहीं है कि हनुमान जी श्रीराम के कितने बड़े भक्‍त थे। अपने प्रभु के लिए इतना समर्पण और प्रेम भाव आज तक किसी में नहीं देखा गया है। श्रीराम के प्रति हनुमान जी की भक्‍ति और प्रेमभाव के कारण ही हनुमान जी को रामेष्‍ट यानि राम का भक्‍त कहा जाता है।

 

हनुमान जन्मदिवस पर कब करें जाप

हनुमान जी के इन नामों का जाप ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे अधिक शुभ और फलदायी होता है। ब्रह्म मुहूर्त में हनुमान जी के ये नाम लेने से दीर्घायु मिलती है। दोपहर के समय हनुमान जी का नाम लेते हैं तो इससे उस व्‍यक्‍ति की दरिद्रता दूर होती है। यदि आप पारिवारिक सुख में बढ़ोत्तरी चाहते हैं तो संध्‍या के समय हनुमान जी के इन नामों का जाप करें। रात्रि के समय जाप करने से शत्रु का नाश होता है।

 

कैसे करें जाप

अगर आप नौकरी करते हैं या आपके पास समय का अभाव है तो आप अपनी सुविधानुसार सुबह या संध्‍या के समय हनुमान जी के नामों का जाप कर सकते हैं।

 

जाप का नियम

हनुमान जी के इन नामों का जाप किसी भी पवित्र स्‍थान पर आसन बिछाकर ही करें। पूजन स्‍थल के सामने आसन पर बैठकर जाप करेंगें तो अति उत्तम फल की प्राप्‍ति होगी। लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है तो आप किसी भी पवित्र स्‍थान पर बैठकर हनुमान जी के इन नामों का जाप कर सकते हैं। पूजन के समय यानि सुबह या संध्‍या के समय जाप कर रहे हैं तो हनुमान जी की मूर्ति के आगे घी का दीया जलाएं किंतु अगर रात या दोपहर के समय जाप कर रहे हैं तो इस समय दीपक न जलाएं क्‍योंकि इस समय भगवान निद्रा में होते हैं और इन समय में ईश्‍वर की आराधना नहीं की जाती है। यदि आप हनुमान चालीसा भी पढ़ना चाहते हैं तो हनुमान जी के मंत्रों एवं उनके चमत्‍कारिक नामों का जाप हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद ही करें।

 

कितना करें जाप

शास्‍त्रों के अनुसार किसी भी मंत्र या ईश्‍वर के नाम का 108 बार जाप करना उत्तम होता है। आप ये जाप संख्‍या 11000 या 21000 भी कर सकते हैं। यदि आपके लिए इतना जाप करना संभव नहीं है तो आप 11 बार भी हनुमान जी के इन नामों का जाप कर सकते हैं। जाप संख्‍या कितनी भी हो, श्रद्धालु का मन पवित्र और सच्‍चा होना चाहिए।

हनुमान जन्मदिवस का पर्व अत्‍यंत शुभ और मंगलकारी होता है और इस बार तो ये पर्व स्‍वयं हनुमान जी को समर्पित मंगलवार के दिन पड़ रहा है। इससे इस पर्व की शुभता कई अधिक बढ़ जाती है। हनुमान जन्मदिवस के दिन हनुमान जी के इन 10 नामों का स्‍मरण करने से आपके सारे कष्‍ट अवश्‍य ही दूर होंगें और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगीं।

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