कुंडली में जब बनता है ये योग तो परेशान करते हैं भूत-प्रेत
भूत-प्रेत – हमारे आसपास के वातावरण में जहां एक ओर सकारात्मक ऊर्जा रहती है वहीं दूसरी ओर नकारात्मक शक्तियां भी किसी न किसी रूप में फैली होती हैं।
कुछ लोग इन नकारात्मक शक्तियों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। उन्हें ऐसी नेगेटिव एनर्जी का अहसास जल्दी हो जाता है और इन्हीं में से कुछ लोग इस नकारात्मक ऊर्जा यानि भूत-प्रेत की गिरफ्त में आ जाते हैं।
वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन पर इन नकारात्मक शक्तियों का कोई असर नहीं होता है। ऐसा क्यों होता है ?
आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है।
आप कुंडली देखकर भी पता लगा सकते हैं कि किस व्यक्ति को भूत-प्रेत परेशान करते हैं और किससे ये दूर रहते हैं।
– अगर दशमेश, आठवें भाव में या ग्यारहवें भाव में हो तो या उसके संबंधित भाव के स्वामी पर दृष्टि भी पड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव रहता है।
– इसके अलावा कुंडली का पहला भाव भी आपको नकारात्मक शक्ति का बोध कराता है। शयदि पहले भाव में चंद्रमा के साथ राहु बैठा हो या फिर पांचवे या नौवे घर में कोई क्रूर ग्रह बैठा हो तो जातक को नकारात्मक शक्तियां परेशान करती हैं।
– ज्योतिष के अनुसार भूत-प्रेत का कारक शनि, केतु और मंगल भी बनता है। अगर किसी जातक की कुंडली में शनि, राहु, केतु या मंगल की खराब दशा चल रही है तो उस व्यक्ति को भूत-प्रेत परेशान करते हैं।
भूत-प्रेत की शक्ति उन पर हावी होती है जो भी व्यक्ति ऐसी चीज़ों के बारे में ज्यादा सोचता है उसके मन में इन्हें लेकर डर हमेशा बना रहता है। ये लोग मन से कमज़ोर होते हैं इसलिए इन पर ही ये शक्तियां आसानी से हावी हो सकती हैं। आपको नकारात्मक शक्तियों से दूर रहने के लिए इनके बारे में कम से कम सोचना चाहिए।