जानें क्यों लगाते हैं गणपति बप्पा मोरया का जयकारा
गणपति बप्पा मोरया का जयकारा – गणेश उत्सव के मौके पर चारों तरफ बस गणपति बप्पा मोरया की गूंज ही सुनाई देती है। सभी अपने घर में मंगलकारी गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करते हैं। गणपति के पूजन में 10 दिन तक भक्त डूबे रहते हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि गणपति बप्पा मोरया का जयकारा क्यों लगाया जाता है? आपको शायद इस बारे में पता नहीं होगा। तो चलिए आज इसके कारण हम आपको अवगत करवाते हैं।
मान्यता है कि गणपति बप्पा मोरया का जयकारा उनके एक भक्त के नाम पर लगाया जाता है।
इस भक्त और गणेश जी के जयकारे की कहानी महाराष्ट्र के गांव चिंचवाड़ से जुड़ी हुई है। यहां पर मोरया गोसावी नामक संत रहा करता था। उसका जन्म ही भगवान गणेश की कृपा से हुआ था इसलिए वह गणेश जी का बहुत बड़ा भक्त था।
मोरया गोसावी हर साल बड़ी धूमधाम से गणेश चतुर्थी का पर्व मनाता था। वो पैदल चलकर अपने माता-पिता के साथ मोरंगाव तक गणेश पूजन के लिए जाया करता था। जब मोरया बूढा हो गया और उसका चलना-फिरना बंद हो गया, तब उसके सपने में एक बार गणेश जी आए और उसे बताया कि पास के ही एक तालाब में गणपति जी की प्रतिमा मिलेगी। उसे लाकर स्थापित कर पूजन करो। गोसावी को अपने स्वापानुसार उस तालाब से मूर्ति मिल गई।
मूर्ति मिलेन के बाद गोसावी ने ये खबर सबको बताई। लोग दूर-दूर से गणपति जी की इस मूर्ति के और मोरया गोसावी के दर्शन को आने लगे। तब गणपति जी के साथ-साथ लोग मोरया के भी भक्त हो गए। उन्हें मंगलमूर्ति के नाम से पुकारा जाने लगा। यहीं कारण है कि गणेश जी को गणपति बप्पा मोरया और मंगलमूर्ति मोरया के नाम से पुकारा जाता है।
इसलिए हम लगते है गणपति बप्पा मोरया का जयकारा – गणेश चतुर्थी के अवसर पर महाराष्ट्र की गलियां गणपति बप्पा मोरया के जयकारों से गूंज उठती हैं।