4 प्रकार के होते हैं ऋण, पितृ ऋण है सबसे घातक
चार ऋण – धरती पर जन्म लेने वाले मनुष्य को जीवन में कई तरह के ऋण चुकाने पड़ते हैं। हिेंदू धर्म में तीन तरह के ऋण चुकाने से मनुष्य को कई तरह के पापों और विपत्तियों से छुटकारा मिल जाता है। शास्त्रों के अनुसार मनुष्य के ऊपर चार प्रकार के ऋण होते हैं।
ये चार ऋण हैं : देव ऋण, ऋषि ऋण, पितृ ऋण और ब्रह्मा ऋण।
हिंदू धर्म को मानने वाले हर व्यक्ति का ये कर्त्तव्य है कि वो इन चार ऋणों को अपने जीवन काल में उतार दे। अपने वर्तमान और भविष्य को सुधारने के लिए इन चार ऋण के में बारे में जानना जरूरी होता है।
चार ऋण –
1 – देव ऋण
शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु से संबंधित है देव ऋण। इस ऋण को चुकाने के लिए व्यक्ति को सदाचार का पालन करते हुए दान और यज्ञ करना पड़ता है। धर्म का अपमान करने वाले, धर्म के प्रति भ्रम फैलाने वाले, वेदों का विरोध करने वाले लोगों पर यह ऋण अशुभ साबित होता है।
देव ऋण से बचने का उपाय
रोज़ सुबह और शाम भगवान विष्णु, कृष्ण जी या हनुमानजी में से किसी एक का पूजन करें और उनके मंत्र, चालीसा, पाठ एवं स्तोत्र का जाप करें। रोज़ माथे पर चंदन का तिलक लगाकर घर से निकलें। सात्विक भोजन करें और दान दें।
2 – ऋषि ऋण
भगवान शंकर से संबंधित है ऋषि ऋण। इस ऋण को चुकाने के लिए व्यक्ति को वेद, उपनिषद् और गीता के ज्ञान को लोगों में बांटना होता है यानि धर्म का प्रसार करना होता है। इस ऋण से पीडित व्यक्ति को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता है एवं उसे मृत्यु बाद भी किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलती है।
ऋषि ऋण उतारने का उपाय
इस ऋण से मुक्ति पाने के लिए हर महीने गीता का पाठ करें। बुरे व्यसनों से दूर रहें। अपने मन और शरीर को स्वच्छ रखें। माथे पर घी या चंदन का तिलक लगाएं।
3 – पितृ ऋण
व्यक्ति के पूर्वजों से संबंधित होता है पितृ ऋण। पितृ ऋण अनेक प्रकार का होता है। शास्त्रों में इस ऋण को सबसे खतरनाक बताया गया है। इस ऋण के प्रभाव से मनुष्य का जीवन मृत्यु से भी अधिक कष्टकारी हो जाता है। उस पर अत्यधिक कर्ज चढ़ जाता है।
पितृ ऋण का उपाय
पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने से इस ऋण से मुक्ति मिल जाती है। रोज़ हनुमान चालीसा का पाठ करें। घर के वास्तुदोष को ठीक करें।
4 – ब्रह्मा ऋण
इस ऋण को पितृ ऋण के अंतर्गत ही माना जाता है। इस ऋण में मनुष्य पर ब्रह्मा जी का कर्ज चढ़ जाता है। यह ऋण मनुष्य के पूर्वजों, कुल, धर्म और वंश से भी जुड़ा हुआ होता है।
ब्रह्मा ऋण का उपाय
इस ऋण से मुक्ति पाने के लिए जाति, धर्म और रंग के आधार पर भेदभाव और छूआछूत को खत्म कर देना चाहिए। सभी को मनुष्य समझें और दूसरों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव ना करें।
ये है चार ऋण – शास्त्रों के अनुसार इन चार प्रकार के ऋणों में से पितृ ऋण सबसे घातक होता है जो मनुष्य को ना तो जीने देता है और ना ही मरने देता है