कुंडली के विभिन्न बारह भावों में चंद्रमा का प्रभाव !
बारह भावों में चंद्रमा का प्रभाव – चंद्रमा मन और मस्तिष्क का प्रतीक है।
मनुष्य क्या सोचता है क्या करता है, ये काफी हद तक चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करता है। अगर कुंडली में चंद्रमा नीच स्थान में बैठा हो या पीडित हो तो जातक को मस्तिष्क से संबंधित परेशानियां होती हैं। कुंडली में बारह भाव होते हैं एवं इन बारह भावों पर चंद्रमा का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। किसी भाव में चंद्रमा शुभ फल देता है तो किसी भाव में अशुभ फल प्रदान करता है।
आइए जानते हैं कि कुंडली के बारह भावों में चंद्रमा का प्रभाव ।
पहले यानि लग्न स्थान में चंद्रमा बैठा हो तो जातक को बल मिलता है। वह ऐश्वर्य से परिपूर्ण रहता है। ऐसा व्यक्ति अपना खुद का व्यवसाय करता है। इनका शरीर स्थूल होता है। इनकी रुचि गायन वाद्य में होती है।
दूसरे भाव में चंद्रमा बैठा हो तो जातक की भाषा मधुर होती है। वह सुंदर, सहनशील और शांतिप्रिय होता है। इन्हें अपने घर से दूर विदेश में रहना पड़ता है।
कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा विराजमान हो तो जातक अपने पराक्रम से धन कमाता है। वह धार्मिक, यशस्वी और आस्तिक होता है।
चौथे घर में चंदमा का प्रभाव जातक को दानी, सुखी और उदार बनता है। इनकी पत्नी बहुत गुणी होती है। ये लोग शेयर मार्केट से पैसा कमाते हैं और दूसरों को बड़ी आसानी से क्षमा कर देते हैं।
कुंडली के पंचम भाव में चंद्रमा बैठा हो तो इसका असर जातक की बुद्धि पर भी पड़ता है। ये व्यक्ति स्वभाव से चंचल, सदाचारी, क्षमावान और शौकीन होते हैं।
छठे भाव में चंद्रमा होने पर जातक को कोई न कोई रोग हमेशा घेरे रहता है। ये अल्पायु होते हैं। इन्हें धन की बचत से ज्यादा खर्च करने में आनंद आता है।
सातवें स्थान में चंद्रमा होने पर जातक सभ्य और धैर्यवान बनता है। इनमें अच्छे नेता, वकील, व्यापारी और विचारक बनने के गुण होते हैं। इन्हें खुद पर अभिमान रहता है।
कुंडली के अष्टम भाव में चंद्रमा के कारण जातक को कोई विकार रहता है। उसे व्यापार में खूब लाभ मिलता है। ये बंधन से दुखी होने वाले और ईर्ष्यालु होते हैं।
नवम भाव में चंद्रमा की स्थिति जातक को धनवान, धर्म का पालन करने वाला, कार्यशील और न्यायप्रिय बनाती है। ये विद्वान और साहसी होते हैं।
दशम भाव में चंद्रमा के प्रभाव में व्यक्ति अपने कार्य में कुशल होता है। वह दयालु और बुद्धिमान बनता है एवं समाज में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है। वह दूसरों के हित के बारे में सोचता है।
लग्न के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा व्यक्ति को गुणवान बनाता है। वह संपत्ति से युक्त होता है। उसे दीर्घायु प्राप्त होती है और वह राज कार्यों में दक्ष होता है।
बारहवें भाव में चंद्रमा के कारण व्यक्ति को नेत्र व कफ रोग हो सकता है। वह क्रोधी, एकांतप्रिय, मृदुभाषी और चिंतनशील रहता है।
कुंडली के बारह भावों में चंद्रमा का प्रभाव अलग अलग पड़ता है। किसी को चंद्रमा सुख देता है तो किसी के लिए दुख का कारण बन जाता है।