भगवान के पंचामृत अभिषेक से व्यक्ति की होती हैं सभी मनोकामनाएँ पूरी
भगवान का पूजन करने में जल से स्नान के पश्चात दुध, दही घी, शहद एवं शकर से स्नान कराया जाता है। इसी को पंचामृत अभिषेक कहते है. आज के समय में पंचामृत अभिषेक कुछ खास लोगों तक ही सीमित होकर रह गया है. आज की पीढ़ी को यदि पंचामृत अभिषेक के बारें में बताया भी जाए तो हर कोई बस मजाक में इन बातों को टाल देता है.
आज योरफार्च्यून आपको पंचामृत अभिषेक के बारें में बताने वाला है. इस जानकारी को यदि आप अधिक से अधिक शेयर करते हैं तो आपके इस कार्य से हिन्दू संस्कारों का प्रचार-प्रसार भी संभव हो पायेगा-
पंचामृत का अर्थ जो शास्त्रों में बताया गया है वह है- पांच अमृत इनमें दूध, दही, घी, शहद, शकर को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है. इसी से भगवान का अभिषेक किया जाता है. दरअसल पंचामृत आत्मउन्नति के पांच प्रतीकहोते हैं. यह पांचों सामग्री किसी न किसी रुप में उन्नति का सदेंश देती है. भगवान शिव को पंचामृत अभिषेक करने का जिक्र शिवपुराण से लेकर रामायण तक किया गया है. इस पंचामृत अभिषेक प्रसन्न होकर शिव ने कई प्राणियों की प्राणों तक की रक्षा की थी.
आइये आपको पंचामृत अभिषेक में प्रयोग हुई हर वस्तु का महत्व व्यक्ति के आम जीवन से कैसे होता है, यह समझाते हैं-
- दूध- पंचामृत का प्रथम भाग है। यह शुभ्रता का प्रतीक है. अर्थात हमार जीवन दूध की तरह निष्कलंक होना चाहिए। यह पौष्टिक होता है. दूध से व्यक्ति को यह सीखना चाहिए कि किस प्रकार से शांत होते भी अपने अन्दर घी और मक्खन रखा जाता है. आपको दूध जिस तरह से जीवन देता है, उसी प्रकार से आपको भी संसार को सदा जीवन देना चाहिए.
- दही- दही अर्पण का अर्थ है पहले हम निष्कलंक हो सदगुण अपनाएं और दुसरों को भी अपने जैसा बनाएं. दही जैसे शीत होता है। वैसा ही हमारा स्वभाव बनें. शांत दही व्यक्ति को ठंडक देता है. इसी प्रकार से व्यक्ति को अपनी बोली से सदा जगत को ठंडक देनी चाहिए.
- घी-घी स्निग्धता एवं स्नेह का प्रतीक है. सभी से हमारे स्नेह युक्त संबध हो यही भावना है। घी दूध में भी होता है, पर दूध से दीपक नही जलता है. वहीं घी जलकर बनता है किन्तु सके बाद जगत का अँधियारा भी दूर कर सकता है. ऐसे ही कडे़ एवं कठिन परिश्रम से मनुष्य स्वयं भी बड़ा बनता है, एवं दूसरों को भी लाभ देता है.
- शहद-शहद मीठा होने के साथ ही शक्तिशाली भी होता है. निर्बल व्यक्ति जीवन में सफलता नही पा सकता तन और मन से शक्तिशाली व्यक्ति ही सफल होता है. शहद इसी का प्रतीक है.
- शकर-शकर अर्पण करने का अर्थ है. जीवन में मिठास घोले तथा मधुर व्यवहार करें. शक्कर की तरह आपको मीठा होना चाहिए.
हमारा जीवन शुभ रहे, स्वयं अच्छे बने, अपने तथा दूसरों के जीवन में मधुरता लाएं, मधुर व्यवहार बनाएं. इससे सफलता हमारे कदम चूमेगी साथ ही हमारे भीतर महानता के गुण उत्पन्न होगें. पंचामृत अभिषेक करने से ईश्वर प्रसन्न हो जाता है और भक्त से बोलता है कि पंचामृत अभिषेक के बाद तुम अपनी सारी बुराइयाँ मेरे पास छोड़ जाओ और जगत में अच्छे काम करने के लिए वापस जाओ. पंचामृत अभिषेक से व्यक्ति की सभी तरह की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं.
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