श्रीकृष्ण में थीं ये 16 कलाएँ !
श्रीकृष्ण की कलाएँ – शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण 16 कलाओं के ज्ञाता हैं। भगवान विष्णु का एकमात्र यही ऐसा अवतार है जिसमें संपूर्ण कलाएं विद्यमान हैं।
श्रीकृष्ण के पास 16 कलाओं का ज्ञान था।
तो आइए आज जानते हैं श्रीकृष्ण की कलाएँ – वे 16 कलाएं कौन-सी हैं।
श्रीकृष्ण की कलाएँ –
1 – श्री संपदा
जो व्यक्ति मन, वचन और कर्म से धन हो उसके पास श्री संपदा जैसी कला होती है। जिसके पास से कोई भी व्यक्ति निराश होकर न लौटे। ऐसे व्यक्ति के पास श्री यानि मां लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है।
2 – भू संपदा
इस कला से युक्ति व्यक्ति बड़े भूभाग का स्वामी या राजा होता है। इस कला से संपन्न व्यक्ति के पास किसी बड़े भू-भाग का आधिपत्य होता है।
3 – कीर्ति संपदा
कीर्ति का अर्थ है ख्याति और प्रसिद्धि। जो व्यक्ति अपने जनकल्याण जैसे कार्यों और दयालुता के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो वह इस कला से युक्त होता है।
4 – वाणी सम्मोहन
जो व्यक्ति अपनी वाणी से ही दूसरों को सम्मोहित करने की शक्ति रखता हो वह इस कला से संपन्न होता है। इनकी वाणी में इतनी मधुरता होती है कि कोई क्रोधी व्यक्ति भी इसे सुनकर शांत हो जाता है।
5 – लीला
जिसके दर्शन से आनंद मिले या जो चमत्कारी हो उसे इस कला से युक्त माना जा सकता है। ऐसे व्यक्ति जीवन को भगवान का प्रसाद समझकर ग्रहण करते हैं।
6 – कांति
इस कला से युक्त व्यक्ति के चेहरे की कांति देखकर ही लोग मंत्र-मुग्ध हो जाते हैं और इन्हें ही निहारते रहते हैं।
7 – विद्या
विद्या एक ऐसी कला है जिसमें अनेक गुण होते हैं। विद्या से संपन्न व्यक्ति वेदों का ज्ञाता, संगीत और कला का मर्मज्ञ, युद्ध कला में पारंगत और राजनीति व कूटनीति में माहिर होता है।
8 – विमला
भेदभाव और छल-कपट से रहित व्यक्ति इस कला से युक्त होता है। ऐसे मनुष्य के मन में कोई बैर नहीं होता एंव इनका मन बिलकुल निर्मल होता है।
9 – उत्कर्षिणि शक्ति
वह व्यक्ति जो दूसरों को प्रेरित कर सके और किसी विशेष लक्ष्य को भेदने के लिए दूसरों का सही मार्गदर्शन कर सके।
10 – नीर-क्षीर विवेक
इस कला से युक्त मनुष्य अपने ज्ञान से न्यायपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम होता है। ये लोग अपने विवेक से दूसरों को सही मार्ग दिखाते हैं।
11 – कर्मण्यता
इस कला से युक्त व्यक्ति स्वयं भी कर्मठ होता है। ये सिर्फ दूसरों को ही कर्म करने का उपदेश नहीं देते बल्कि स्वयं भी कर्म करते हैं।
12 – योगशक्ति
योग ऐसी कला है जो मनुष्य को परमात्मा से जोड़ती है। इस कला के द्वारा व्यक्ति दूसरों के मन पर राज कर सकता है।
13 – विनय
जिसमें अहम् न हो और जो ज्ञानी होने के बावजूद भी अहंकारी न हो, उस व्यक्ति में यह कला होती है। शालीनता से व्यवहार करने वाला व्यक्ति इस कला में पारंगत होता है।
14 – सत्य धारणा
इस कला से युक्त व्यक्ति अपने पूरे जीवन में सत्य के मार्ग पर ही चलता है। इस कला में पारंगत व्यक्ति को सत्यवादी कहा जाता है।
15 – आधिपत्य
इस कला को रखने वाले व्यक्ति में ऐसा गुण होता है जिसके द्वारा वह बिना कुछ किए और कहे ही दूसरों पर अपना आधिपत्य कर लेता है। इनके आधिपत्य में लोगों को संरक्षण का अहसास होता है।
16 – अनुग्रह क्षमता
इस कला से युक्त व्यक्ति सदा दूसरों के कल्याण के बारे मे सोचता है। ये अपने पास आने वाले लोगों की सहायता जरूर करते हैं।
ये है श्रीकृष्ण की कलाएँ – कला का अर्थ एक विेशेष प्रकार के गुण से होता है। इन कलाओं के ज्ञानी व्यक्ति में दूसरों से भिन्न गुण पाए जाते हैं। भगवान विष्णु ने जितने भी अवतार लिए उनमें कोई न कोई खूबी जरूर होती थी और यही खूबी कला कहलाती है।